दशहरा क्यों मनाया जाता है? – Why Dussehra is Celebrated in Hindi
दशहरा क्यों मनाया जाता है? – Why Dussehra is Celebrated in Hindi – त्योहार किसी देश, जाति या समाज के प्राण होते हैं। इन त्योहारों से ही कोई देश अपनी संस्कृति को बचाए रखकर अपनी विशेषता बनाए रख सकता है, क्योंकि त्योहार का आधार आपस में मिलकर खुशियां मनाना है।

त्योहार ही नीरसता के स्थान पर सरसता, प्रेम, स्फूर्ति, राष्ट्रीयता और पवित्रता लाते हैं। दीपावली, रक्षाबंधन, 26 जनवरी, होली आदि की भांति दशहरे का त्यौहार भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक धार्मिक त्यौहार है।
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
यह त्योहार कई कारणों से मनाया जाता है। जैसे-
- इस दिन श्री रामचंद्र जी ने लंका के राजा रावण को मारकर सीता जी को उसकी कैद से छुड़वाया था। सत्य की असत्य पर, पुण्य की पाप पर विजय प्राप्त होने के कारण भारतवासी रामलीलाएं करते हैं। रावण के पुतलों में आग लगाकर यह दर्शाते हैं कि बुराई का सदा अंत होता है।
- प्राचीन काल में महिषासुर नामक राक्षस ने आतंक मचा रखा था। उसका अंत करने के लिए मां दुर्गा ने उसके साथ युद्ध किया। कई दिन तक भीषण युद्ध चलता रहा। अंततः मां दुर्गा ने पापी राक्षस पर विजय पा ली। बंगाल में यह पर्व दुर्गा पूजा के नाम से विख्यात है। जो दस दिन तक चलता है। इस अवसर पर मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां बनाई जाती है। पूजा के पश्चात दशमी के दिन इनका विसर्जन होता है।
मनाने का समय
विजयादशमी का त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दसवीं को अक्टूबर मास में मनाया जाता है। श्री राम ने इस दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस दिन को विजयदशमी या दशहरा कहते हैं। दशहरे का अर्थ है दस सिर वाले रावण की हार। इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
मनाने का ढंग
दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के विशालकाय पुतले बनाए जाते हैं। एक बड़ी सी लंका नगरी बनाई जाती है। रंगमंच के कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। बड़े बड़े नगरों में भव्य सवारी निकाली जाती है। जिसे देखने के लिए लाखों लोग आते हैं। सूर्य की आखिरी किरण के साथ ही रावण के पुतलों को जला दिया जाता है।
सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक
दशहरे का त्यौहार सत्य की असत्य पर, पुण्य की पाप पर, धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है। यह वह दिन है जब भगवान राम ने अत्याचारी रावण को मारकर यह दिखा दिया कि सत्य की सदा जीत होती है। दुर्गा जी ने विजय से यह दिखा दिया कि नारी का अपमान करना नारी के हाथों मरना है।
शिक्षा
यह त्यौहार धर्म की अधर्म, सत्य की असत्य, पुण्य की पाप पर विजय का प्रतीक है। यह दिन नारी के सम्मान में संदेश देने वाला भी है। इस दिन राम ने रावण को मारकर यह प्रमाणित किया था कि धर्म, न्याय और सत्य की सदा जीत होती है। यह त्यौहार ऐसा है जिससे हमें शिक्षा मिलती है कि राम की तरह मर्यादा-पुरुषोत्तम बनो, रावण की तरह पापी नहीं।
लाभ
इस त्यौहार से संस्कृति सुदृढ़ होती है। राक्षसी प्रवृति का नाश होता है। पवित्रता, प्रेम, भाईचारा बढ़ता है। देवी देवताओं की याद ताजा हो जाती है। दुकानदारों की चांदी होती है। तथा दूर-दूर से लोग आकर एक स्थान पर इकट्ठे होने से कम व्यय होते हैं।
सावधानियां
जेबकतरों से सावधान रहना चाहिए। पुतलों के पास नहीं जाना चाहिए, नहीं तो आग लग जाने का डर रहता है। आवश्यकता से अधिक व्यय नहीं करना चाहिए। दशहरे का त्यौहार मनाते समय हमें कुछ सावधानियां अपनानी चाहिए, जैसे- अधिक भीड़ में नहीं जाना चाहिए नहीं तो कुचले जाने का डर लगा रहता है।
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