Speech on Student Life in Hindi – छात्र जीवन पर भाषण

Speech on Student Life in Hindi – छात्र जीवन पर भाषण

Speech on Student Life in Hindi – छात्र जीवन पर भाषण – माननीय मुख्य अतिथि महोदय, आदरणीय प्रधानाचार्य एवं सभी शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। आज मैं आपके सामने छात्र जीवन पर अपने कुछ विचार रखना चाहता हूं।

Speech on Student Life in Hindi - छात्र जीवन पर भाषण
Speech on Student Life in Hindi – छात्र जीवन पर भाषण

दोस्तों पुराने समय में जिसे गुरुकुल की शिक्षा कहते थे वही आज उसे छात्र जीवन या विद्यालयीन शिक्षा कहते है। पहले 5 या 7 वर्ष की आयु से 25 वर्ष की आयु तक शिक्षा होती थी जो आज गांव में 5 वर्ष तथा नगरों में 3 वर्ष की आयु से प्रारंभ होती है। 

शिक्षा शब्द का अर्थ है सीखना अर्थात छात्र जीवन सीखने का समय है जिसमें ज्ञान, भावना, क्रिया का योग है। इन तीनों का आधार है छात्र जीवन। जिसमें वृद्धि, मन और शारीरिक क्षमताओं का विकास होता है। पुराने समय में छात्र-जीवन को तपस्या या साधना का समय माना जाता था। उस समय शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए ही छात्र-जीवन के क्रियाकलाप थे।

छात्र जीवन की विशेषता बताते हुए कहा गया था कि कौवा  की वृत्ति के समान अपने ज्ञान की वस्तु को पाने का प्रयत्न करने वाला, बगुले के समान धैर्य और मन का निग्रह रखने वाला, कुत्ते के समान कम नींद वाला, घर के मोह से ऊपर और बहुत थोड़ा खाकर संतुष्ट रहना वाला यह छात्र के पांच लक्षण थे। समय के अनुसार आज भी इन्हीं लक्षणों वाला छात्र जीवन में सफल होता है‌। 

आज शिक्षा के स्वरूप और सोच में जो बदलाव हुआ है और पुरानी बातों को व्यर्थ का समझकर समाप्त कर दिया है। जिसके कारण आज के छात्र, विद्यालयों में हड़तालों में विश्वास रखने वाले, सिनेमा में रुचि रखने वाले, और देर रात तक जगकर मनोरंजन करने वाले, पढ़ने के समय गहरी नींद सोने वाले, कक्षा से भागने वाले और हर समय चाय पीने का शौक रखने वाले यह पांच लक्षण आज के कुछ विद्यार्थीयों का हिस्सा बन चुके हैं। 

सरस्वती की पूजा अर्थात ज्ञान प्राप्त करना ही छात्र जीवन का कर्म है। पुराने समय में शिक्षा का उद्देश्य मोह कहा गया था। विद्या अर्थात ज्ञान की साधना के द्वारा मोक्ष पाना और मोक्ष जो मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य था। इससे पूर्व धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति करना है।

इस प्रकार छात्र जीवन ही मानव के विकास की पहली सीढ़ी है। अपने को जानना, संसार और ईश्वर को जानने की साधना का समय छात्र जीवन है। मानवता की पहली शिक्षा छात्र अवस्था में ही मिलती है जिसका प्रारंभ योग्य गुरु के मार्गदर्शन में होता है।

धन्यवाद

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