Speech on India in Hindi – भारत पर भाषण

Speech on India in Hindi – भारत पर भाषण

Speech on India in Hindi – भारत पर भाषण – माननीय मुख्य अतिथि महोदय, आदरणीय प्रधानाचार्य एवं सभी शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। आज मैं आपके सामने भारत पर अपने कुछ विचार रखना चाहता हूं। 

Speech on India in Hindi - भारत पर भाषण
Speech on India in Hindi – भारत पर भाषण

मेरा भारत देश दुनिया में निराला है। यहां महात्मा गांधी, विवेकानंद, दयानंद, रामकृष्ण परमहंस, महर्षि अरविंद, गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला जैसे महापुरुष त्यागी और बलिदानी वीर पैदा हुए जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए जीवन को अर्पित कर दिया।

संत तुलसीदास, महात्मा कबीर, भक्त रैदास आदि कवि वाल्मीकि जैसे ऋषि और तपस्वी हुए तो सावित्री, सीता, झांसी की रानी, दुर्गावती, अहिल्याबाई, चांदबीबी, मीरा, महादेवी वर्मा जैसी वंदनीया नारियां हो गई जिनकी तुलना   दुनिया में कोई नहीं कर सकता।

अपनी वस्तु से किसे प्यार नहीं होता। जिस देश में हमने जन्म लिया, जिसकी मिट्टी में खेल कर हम बड़े हुए, जिस देश का अन्न-जल खाकर हमारा शरीर फुला-फला है, ऐसी जन्म भूमि की शोभा देखकर किसका मन नहीं नाच उठता। यही कारण है कि कर्क रेखा पर तड़प तड़प कर जीवन बिताने वाले लोग भी अपने देश से प्रेम करते हैं। ध्रुव खंड के लोग भी जहां पर बर्फ-की-बर्फ होती है, ठिठुर-ठिठुरकर जीवन बिताते हुए अपने देश को सबसे अच्छा मानते हुए उसकी रक्षा के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं।

पुरानी वीरों में विक्रमादित्य, चंद्रगुप्त मौर्य, समुंदर गुप्त,  अशोक, हर्ष के पराक्रम से इतिहास के पृष्ठ भरे पड़े हैं। महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी तथा गुरु गोविंद सिंह जैसे वीर प्रतापियो की कही तुलना ही नहीं है।

ईश्वर इस भूमि पर अवतार लेता है। राम कृष्ण के रूप में ईश्वर ने अवतार लिया था। गौ, गंगा, गीता, गायत्री की पूजा आज भी होती है। गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नमर्दा जैसी पवित्र नदियां हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, अवंतिका, अयोध्या जैसे पावन नगर और विश्व में सबसे ऊंचा पर्वत हिमालय यहां है।

हमें अपने देश से प्यार करना चाहिए तभी तो स्वदेश-प्रेम ही पवित्र प्रेम है, हमारा सच्चा धर्म है, जीवन का पावन कर्तव्य है। स्वदेश-प्रेम का नशा ही सच्चा जीवन है। आज के मानव में स्वदेश-प्रेम का अभाव है तभी तो देशवासी दुखी है। जिस देश में स्वदेश-प्रेम है, उसे संसार में कोई नहीं जीत सकता और ना उसे गुलाम बना कर रख सकता है। आज हमें स्वदेश-प्रेम की सर्वाधिक आवश्यकता है।

धन्यवाद

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