स्वावलंबन पर निबंध | Essay on Self Reliance in Hindi

स्वावलंबन पर निबंध | Essay on Self Reliance in Hindi

स्वावलंबन पर निबंध | Essay on Self Reliance in Hindi : आज के इस लेख में हम स्वावलंबन पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है। यहां आपको निबंध मिलेगा जो बच्चे आसानी से याद कर सकते हैं।

स्वावलंबन पर निबंध | Essay on Self Reliance in Hindi
स्वावलंबन पर निबंध | Essay on Self Reliance in Hindi

प्रस्तावना

यदि हम चाहते हैं कि दुनिया में कुछ अच्छे और बड़े काम करें तो अपने आप परिश्रम करके काम करना होगा। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जयप्रकाश नारायण जैसे महान पुरुष भी अपना छोटें से छोटा काम स्वयं ही करते थे। इसीलिए वे महान कहलाएं। 

जो व्यक्ति स्वयं काम न करके दूसरों के भरोसे बैठा रहता है, वह कभी सफल नहीं होता और जीवन भर रोता रहता है। आलसी केवल हाय, करके अपने भाग्य को कोसता रहता है। सत्य कहा है, ”जो अपनी सहायता आप नहीं करते भगवान भी उनकी सहायता नहीं करता।”

स्वावलंबन का अर्थ

स्वावलंबन का अर्थ है स्वयं का सहारा अर्थात्‌ अपने ऊपर अपना भरोसा। अपना काम स्वयं करने का भाव ही स्वावलंबन है। एक खेत में चिडियों का घोंसला था। गेहूँ पक गए थे। किसान आया, बोला, “किसी को गेहूँ काटने भेजूँगा।” शाम को चिड़ियों के बच्चों ने यही बात चिड़ियों से कही तो चिड़िया बोली, ” अभी कोई डर नहीं।” और एक सप्ताह टल गया। एक दिन किसान ने जब यह कहा, “खेत पक गया। कल मैं काटने जाऊँगा।” बच्चों से यह बात सुनकर चिड़ियाँ बोली, ”ठीक है। अब नई जगह चलो।”! स्वयं अपने काम को अपने हाथों करना ही स्वावलंबन है। 

स्वावलंबन का महत्व

स्वावलंबन का महत्व इसी में है कि हममें आत्मविश्वास पैदा होता है। सभी काम मन के अनुसार समय पर भली प्रकार निपट जाते हैं। जीवन में आलस्य नहीं आता। अनेक गुण विकसित होते हैं। कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं लगता। मन से ऊँच नीच का भाव मिट जाता है। काम करने में आनंद आता है। न होने पर किसी दूसरे को दोष न देकर जो कमी रह गई उसे दूर करके फिर से पूरा करने में जुट जाते हैं। स्वयं पर भरोसा पैदा होता है। आत्मशक्ति का विकास होता है। किसी काम को दूसरे के भरोसे छोड़कर करेगा, नहीं करेगा, हो पाएगा, नहीं हो पाएगा, ऐसी अनेक चिंताओं से बच जाते हैं।

समाप्ति

संसार में स्वावलंबी पुरुष ही यश प्राप्त करते हैं। जो स्वयं काम करने में विश्वास नहीं करते, अथवा कोई दूसरा करेगा, इस भरोसे बैठे रहते हैं, उनके काम तो समय पर होते नहीं। चिंता रूपी अग्नि में जलते रहते हैं। काम मन के अनुसार न होने पर क्रोध के शिकार होते हैं। काम का जो फल और जब चाहते है नहीं मिलता। जीवन-क्रम इतना बिगड़न जाता है कि जीवन की खुशियाँ कभी प्राप्त नहीं कर पाते। हमारा काम समय पर हो जाएगा, यह विश्वास भी नहीं दे पाते, क्योंकि काम हमारे हाथ में नहीं रहता। अतः स्वावलंबन जीवन में सफलता की कुंजी है। 

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