Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi – सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध
Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi – सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध – आईये सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध देखिए !

प्रस्तावना
भारत देश दुनिया में निराला है। यहां ऐसे-ऐसे महापुरुष, संत, वीर, योद्धा और नारियां पैदा हुई है कि दुनिया के किसी भी देश में इतने महापुरुष पैदा नहीं हुए। प्राचीन युग की बात छोड़ भी दें। स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत की भूमि में अनगिनत महापुरुषों ने जन्म लिया और अपने गुणों तथा बलिदान से अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख डाला। इन्हीं महापुरुषों में लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम सदैव अमर रहेगा।
जीवन परिचय
गुजरात राज्य के करमसद गांव में 31 अक्टूबर 1875 ईस्वी को जन्मे सरदार पटेल ने मैट्रिक की परीक्षा तो भारत में पास की किंतु बैरिस्टरी की परीक्षा इंग्लैंड से पास की। अफ्रीका से लौटकर महात्मा गांधी ने जब सावरमती आश्रम को अपना केंद्र बनाया तो सरदार पटेल इनकी ओर आकर्षित हुए।
1918 के खेड़ा सत्याग्रह में गांधी के साथ किसानों के नेता के रूप में पटेल ने गांधी जी का साथ दिया। गांधी के असहयोग आंदोलन में भी पटेल ने आगे बढ़कर कार्य किया और चमकती हुई बैरिस्टरी को लात मार कर देश की आजादी की लड़ाई में तन-मन-धन लगा दिया।
पटेल बचपन से ही साहसी और कहे हुए के अनुसार करने वाले व्यक्ति थे। दिलेर इतने कि किसी कष्ट की परवाह कभी नहीं करते थे। जीवन भर कठोर अनुशासन का पालन करने के कारण और जो मुख से कहा, उस पर अड़ने तथा वैसा करने के कारण ही यह अपने समय के लौहपुरुष कहलाए।
कार्य एवं महत्व
अपनी राष्ट्रवादी नीति में दृढ़ विचार वाले, राष्ट्रहित के विरोध में बड़े से बड़े व्यक्ति से भी समझौता न करने वाले सरदार पटेल अपनी योग्यता, कुशलता, तप और त्याग के कारण सभी के मान्य और आदरणीय थे। अपने सिद्धांतों के लिए वे महात्मा गांधी से भी अड जाते थे और समझौता नहीं करते थे।
1928 के बारडोली सत्याग्रह में उनके नेतृत्व को सफलता मिली, उसके कारण देश ने उन्हें ‘ सरदार ‘ की उपाधि से विभूषित किया। 1942 के ‘ भारत छोड़ो ’ आंदोलन में सरदार पटेल ने सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेजों ने उनको बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। शिमला समझौते के समय अंग्रेजों से बात करने के लिए सरदार पटेल को जेल से छोड़ा गया।
जीवन से प्रेरणा
भारत के इतिहास के अनमोल रत्न सरदार पटेल अपनी राष्ट्रहित, दृढ़ नीति और कार्य शैली के कारण लौहपुरुष के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी नीति आज भी देश की भलाई में ही हमें मार्ग दिखाती है।
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