वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi

प्रस्तावना
विश्व में भारत ऐसा देश है जहां छह ऋतुएं होती है। बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। इनमें वर्षा ऋतु का आगमन आषाढ़ मास में होता है। अंग्रेजी महीना जुलाई का होता है। मोटे रूम में हम वर्ष को तीन मौसमों में बांटते हैं- गर्मी, बरसात और जाड़ा।
भारत दुनिया का ऐसा अनूठा देश है कि यहां तीनों ऋतुएं एक साथ किंतु देश के विभिन्न भागों में देखी जा सकती है। यदि आप कभी भी आसाम से कश्मीर तक की यात्रा करें तो तीनों मौसम मिल जाएंगे।
वर्षा ऋतु
गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण समुंदर और नदियों का पानी भाप के रूप में बादलों में बदल जाता है। यही बादल वर्षा के रूम में धरती पर बरसते हैं।
वर्षा ऋतु के बिना हमारे सारे काम बिगड़ जाएंगे। न खेती होगी और न हमें पानी प्राप्त हो सकेगा। मानव, पशु, पक्षी सभी पानी के अभाव में दम तोड़ देंगे। वर्षा के कारण नदियों और नहरों में पानी आता है। तालाब में पानी एकत्रित होता है।
धरती में पानी समाकर कुओं के पानी का स्तर ऊपर उठाता है। फसल की सिंचाई के साधन विकसित होते हैं। बांधों के द्वारा बिजली का निर्माण होता है। वर्ष होते ही चारों ओर हरियाली छा जाती है। बच्चे और पक्षी प्रसन्न होते हैं।
वर्षा का प्रभाव
वर्षा का प्रभाव अनेक रूपों में दिखाई पड़ता है। यदि वर्षा न हो तो देश के हजारों गांव में एक भी दाना पैदा न हो। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र राज्यों की आधी से अधिक जमीन की पैदावार वर्षा पर निर्भर है। धरती में पानी का भंडारण वर्षा से ही होता है। कृषि प्रधान भारत की समृद्धि वर्षा पर निर्भर है।
समाप्ति
वर्षा का अभाव तथा वर्षा की अति दोनों हानिकारक हैं। हमारी भारत भूमि जो शस्य श्यामला कहलाती है, वह वर्षा के कारण ही तो है। देश की हरियाली धरती के अंदर की संपदा और आज की सर्वाधिक उपयोगी वस्तु बिजली वर्षा के कारण ही मिलती है। पर्यावरण का संबंध सीधा वर्षा से है।
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