Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर निबंध

Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर निबंध

Essay on Library in Hindi - पुस्तकालय पर निबंध
Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर निबंध

प्रस्तावना

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों के योग से बना है। पुस्तक+आलय। पुस्तकालय, अर्थात पुस्तकों का घर। नियमानुसार पुस्तकों के रखने के स्थान को पुस्तकालय कहा जाता है। आज का युग सर्वशिक्षा का युग है। 

आज शिक्षा के प्रति आकर्षण इस कद्र बना है कि हर व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा और अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता है। शिक्षा सर्व-सुलभ हो ऐसा विचार कोरा विचार ही रह जाएगा यदि लोगों को लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था ना की गई। शिक्षा की सुविधाएं निशुल्क प्राप्त हो। आज भारत में शिक्षा के प्रसार में जो संस्थाएं सहयोग प्रदान कर रही हैं, पुस्तकालय उनमें प्रमुख है। 

विभिन्न प्रकार के पुस्तकालय

अनेक धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं के अपने विशाल पुस्तकालय होते हैं, जो जनता को निशुल्क अथवा नाम मात्र पैसों से पढ़ने के लिए पुस्तक, पत्र-पत्रिकाएं आदि देते हैं। दूसरे, प्रत्येक स्कूल, कॉलेज के अपने पुस्तकालय होते हैं। इन पुस्तकालयों में विद्यार्थी और अध्यापक के पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकें ही होती हैं।

समय का सदुपयोग

स्थानीय पुस्तकालय अथवा नगरपालिका द्वारा चलाए जाने वाले पुस्तकालयों में छुट्टी के दिन भीड़ देखी जा सकती है। लोग अपनी रूचि के अनुसार समाचार पत्र, पत्रिकाएं, नाटक-एकांकी, कहानियों का आनंद निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। छुट्टी के उपयोग का इससे उत्तम उपाय ओर क्या हो सकता है?

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार

ज्ञानी मनुष्य, पुस्तकालय की सहायता से अपनी ज्ञान की प्यास बुझा सकता है। ऐसे प्राचीन ग्रंथ, जो ज्ञान के भंडार होते हैं, जो खोजने पर ही मिलते हैं, पुस्तकालय के संरक्षण में वे लोगों की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। पुस्तकालय निर्धनों को निशुल्क पुस्तकें प्रदान करता है।

भारत एक गरीब देश है। रोटी और कपड़ों की समस्या हल नहीं होती, पुस्तकें कहां से खरीदेंगे? पुस्तकालय ऐसे लोगों की सहायता करता है जो पुस्तकें खरीद नहीं सकते। कोई पुस्तक अपने आप में पूर्ण हो सकती है, यह कहना असंभव है। 

अध्यापक भी किसी विषय का पूर्ण ज्ञान दे सकता है, ऐसा संभव नहीं है। उसे विषय के पूर्ण अध्ययन के लिए पुस्तकालय की शरण में जाना पड़ता है। पुस्तकालय में अध्यापकों को एक ही विषय पर अनेक विद्वानों द्वारा लिखी हुई पुस्तकें मिल जाती है।

शिक्षा प्रसार का साधन

आज शिक्षा के प्रचार व प्रसार में पुस्तकालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि प्रत्येक ग्राम व नगर में पुस्तकालय खोले जाएं, ताकि लोगों में शिक्षा के प्रति रुचि जागृत हो। 

स्थानीय संस्थाएं भी यदि चाहें तो पुस्तकालय खोलकर, लोगों को ज्ञान-विज्ञान के लिए प्रेरित कर सकती हैं। पुस्तकालय में समाचार पत्र, पत्रिकाओं आदि के अतिरिक्त उच्च कोटि का साहित्य भी होना चाहिए, अन्यथा वह तो मात्र वाचनालय रह जाएगा।

निष्कर्ष

भारत जैसे देश में पुस्तकालय का विशेष महत्व है। अज्ञान से ज्ञान की ओर जाने के लिए, अंधकार से प्रकाश की ओर आने के लिए हमें पुस्तकालय में अध्ययन की आदत डालनी चाहिए। पुस्तकालय न केवल पुस्तकें प्रदान करता है, बल्कि मनोरंजन भी प्रदान करता है। 

सरकार पुस्तकालयों को बढ़ावा देने की ओर कुछ कदम उठा रही है, परंतु यह देश की आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है। गांव में चलते-फिरते पुस्तकालय लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। पुस्तकालय को बढ़ावा देने के लिए निजी संस्थाओं को आगे आना चाहिए।

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