Essay on Kabaddi in Hindi – कबड्डी पर निबंध
Essay on Kabaddi in Hindi – कबड्डी पर निबंध – हमने जितने भी खेल यूरोपियों से सीखे है उन सबमें पैसा खर्च होता है किंतु हमारे देश में जितने भी खेल खेले जाते हैं उनमें पैसे के खर्चे का सवाल ही नहीं उठता। जितने भी भारतीय खेल हैं, उनकी दो विशेषताएं होती हैं-

1. पैसे खर्च नहीं होते।
2. संख्या कम या अधिक दोनों दशा में खेला जा सकता है।
कबड्डी | Kabaddi
कबड्डी ऐसा भारतीय खेल है जो गांव, शहर, गली, मोहल्ले सभी जगह आज भी खेला जाता है। इनके साथ ही गुल्ली डंडा, आंख मिचौली, दहाई-छू, गुरु-चेला, दुर्ग विजय, मक्खन किसका, हाथी घोड़ा पालकी जय शिवा प्रताप की, अंधे की रेवड़ी-मैया मैं कहां, कोड़ा जमाल शाही तथा घेरे के सैकड़ों खेल भारतीय जनजीवन में आज भी प्रचलित है। इनमें कबड्डी सबसे अधिक लोकप्रिय है।
कबड्डी का महत्व | Kabaddi Ka Mahatv
कबड्डी का महत्व अनेक कारणों से है। जैसा कहा जा चुका है कि कम से कम खर्चे का खेल है। केवल एक लंगोटी पहनकर खेला जा सकता है। संख्या कितनी भी घटाई- बढ़ाई जा सकती है। किसी भी मैदान में अपनी थोड़ी सी मेहनत से खेल का मैदान तैयार किया जा सकता है। एक व्यक्ति अनेकों के बीच निश्चित सीमा में और एक ही सांस में बाजी जीतता या हारता है। इस खेल में दमखम, शक्ति, बल, उछल कूद, फुर्ती, कौशल, हिम्मत जैसे गुणों का परिचय मिलता है। आत्म विश्वास बढ़ता है। अनेकों के बीच से घुसकर भी सफलता कैसे मिल सकती है? संघर्ष, सहज जैसे गुणों का विकास होता है। स्वयं सीखने का अवसर होता है।
शारीरिक विकास के साथ ही कबड्डी से आध्यात्मिकता का भी विकास होता है। भारतीय तरीके से कबड्डी में छुए जाने वाला मरता है तथा उसके साथी विपक्षी को छूकर अपने साथी को फिर जीवित करते हैं। इस प्रकार आत्मा की अमरता और कर्म फल के सिद्धांत को जान लेते हैं। पकड़ के लिए एक दूसरे को सहायता देनी पड़ती है। एकता के बल पर एक दल जीत जाता है।
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