आदर्श शिक्षक पर निबंध | Essay on Ideal Teacher in Hindi

प्रस्तावना
संसार में ज्ञान अमूल्य वस्तु है। भारत में प्राचीन काल से ही ज्ञान को विद्या भी कहा गया है। गीता में कृष्ण ने भी ज्ञान को ही सबसे अधिक पवित्र कहा है। अतः ज्ञानी पुरुष को ही श्रेष्ठ माना गया है। पुराने ऋषि-मुनि ज्ञानी ही थे और उनका सम्मान इतना होता था कि उनके आने पर राजा भी सिंहासन छोड़कर खड़ा हो जाता था और ऐसे ज्ञानी पुरुष की आज्ञा को टाला भी नहीं जाता था।
हम जानते हैं विश्वामित्र के मांगने पर महाराज दशरथ को अपनी आंखों के तारे बालक राम-लक्ष्मण को भी उन्हें देना पड़ा। ज्ञानी होने और ज्ञान का दान देने के कारण ही आज भी वशिष्ठ, विश्वामित्र, स्वामी दयानंद, विवेकानंद, रविंद्र नाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम प्रसिद्ध है और इन्है को हम सच्चा शिक्षक भी मानते हैं।
श्रेष्ठ कार्य
शिक्षा से ज्ञान प्राप्त होता है और ज्ञान से ही हम अपना शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और प्राणिक विकास कर सकते हैं। अतः एक सच्चे शिक्षक का कार्य अपने शिष्यों को ऐसा ज्ञान देना ही होता है।
हमारे देश में केवल किताबी ज्ञान कराने वालों को आदर्श शिक्षक नहीं कहा गया वरन् जो अपने शिष्यों को सच्चा ज्ञान दे, उन्हें संसार, आत्मा, ईश्वर और अपने जीवन के उद्देश्य तथा कर्तव्यों का ज्ञान कराएं वही आदर्श शिक्षक कहलाता है। अतः ज्ञान के दान को ही सर्वश्रेष्ठ दान माना गया था।
शिक्षक के गुण
एक आदर्श शिक्षक का गुण है कि वह अपने जीवन के कर्मों, व्यवहार और वाणी से अपने छात्रों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें कि शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और प्राणिक विकास क्या होता है?
एक आदर्श शिक्षक सच्चे अर्थों में एक शिक्षक, मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक होता है। वह अपने मधुर व्यवहार तथा ज्ञानमयी वाणी से अपने छात्रों का विकास करता है। आदर्श शिक्षक से ही देश का राष्ट्र और समाज का कल्याण होता है। वह ईश्वर रूप माना जाता है।
समाप्ति
आदर्श शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा का स्तर भी गिरा है। अच्छे मनुष्य अच्छी शिक्षा से ही बनते हैं।
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