गंगा प्रदूषण पर निबंध | Essay on Ganga River Pollution in Hindi
गंगा प्रदूषण पर निबंध | Essay on Ganga River Pollution in Hindi – हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में गंगा को नदियों में श्रेष्ठ माना गया है। गंगा नदी हिमालय से निकलती है और बंगाल की घाटी में विसर्जित हो जाती है। भारत में गंगा नदी को गंगा मईया के नाम से भी जाना जाता है परंतु अब यह प्रदूषित हो गई है। पहले गंगा नदी का जल वर्षों तक बोतलों और डिब्बों में बंद रहने पर भी खराब नहीं होता था। पर आज यह इतना प्रदूषित हो चुका है कि छूने को दिल नहीं करता।

जिन्होंने कई वर्ष पहले गंगा नदी को देखा था, वे भी एक डरावना फर्क महसूस करते हैं। पहले किसी घाट पर रुकते समय श्रद्धा का भाव पैदा करती थी, अपनी शक्ति से डराती थी और अपने सौंदर्य से अपनी ओर खींचती थी। उसके स्थान पर अब गंगा की धार रेंगती और ठहरती दिखती है। इस प्रदूषण को गंगा नदी में देखकर मन अब विचलित होने लगता है।
एक बड़े अखबार ने गंगा नदीपर एक चित्र प्रकाशित किया था जिसमें गंगा नदी एक गंदे नाले के रूप में स्थिर हो गई दिखाई गई। यह दृश्य विचलित भी करता है तथा बहुत से सवाल भी खड़े करता है। वैज्ञानिक लगातार खतरे की चेतावनी देते आ रहे हैं। यह चेतावनी दो तरफा है। एक पक्ष गंगा नदी के विलुप्त हो जाने से संबंधित है वहीं दूसरा पक्ष गंगा नदी के प्रदूषित हो जाने से संबंधित है।
जिस गंगाजल का स्पर्श पुण्य माना जाता था, आज वही गंगाजल घातक रोगों का कारण बन गया है। वह भी ऐसे घातक रोग जिनका इलाज सबके वश के बाहर है। पिछले डेढ़ दशक से प्रदूषितगंगाजल में मिली भारी धातुएं मानव शरीर में अनाज व सब्जियों के रूप में प्रवेश कर रही है, जिससे मानव शरीर प्रभावित हो रहा है। यह सब कुछ रोजाना गंगा में गिरने वाले हजारों सीवेज के कारण है।
आश्चर्यजनक बात यह भी है कि इससे पूर्व जब-जब वैज्ञानिक कहते थे कि गंगा जल प्रदूषित हो रहा है, तब लोगों को यह बात अविश्वसनीय लगती थी किगंगाजलप्रदूषित भी हो सकता है, परंतु अब चिकित्सकीय और वैज्ञानिक परीक्षण ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब न केवल गंगा जल प्रदूषित है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। इस प्रदूषण का असर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर अधिक हो रहा है।
गंगा नदी को प्रदूषण से दूर करने की खातिर किए जाने वाले प्रयासों में गंगा कार्य योजना में अब तक एक हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बाद भी गंगा नदी अब तक प्रदूषण से मुक्त नहीं हो पाई। काफी जगहों पर इस योजना का पहला चरण भी पूरा नहीं हो पाया है। अतः गंगा नदी को साफ और फिर से जल को अमृत मे बदलने के लिए सरकार और हम सबको ठोस कदम उठाने चाहिए।
Also Read