Essay on Development of Science and Technology in Hindi – विज्ञान के चमत्कार पर निबंध

प्रस्तावना
आज जब पुराना साहित्य पढ़ते हैं यह प्राचीन इतिहास एक घटनाएं पर बने चलचित्र देते हैं तो उनके द्वारा उस पुराने समय के समाज के रहन-सहन और आज की सामाजिक दशा रहन-सहन हो ना पहना देखते हैं तो आश्चर्य होता है कि भूतकाल में हमारा जीवन कैसा था और आज क्या हो गया है। कल कौन थे और आज कौन है और कल क्या हो जाएंगे।
यह सामाजिक जीवन का परिवर्तन, आने जाने के साधनों का परिवर्तन, कामकाज के तौर-तरीकों में परिवर्तन, कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन, रोगों के उपचार में परिवर्तन, युद्ध के तौर-तरीकों में परिवर्तन, दिनचर्या में परिवर्तन, रात और दिन के अंतर की समाप्ति, आकाश और सागर में मानव की एक से गति आदि अनेक परिवर्तन किसके कारण संभव हो सके उत्तर एक ही मिलेगा विज्ञान से।
विज्ञान के चमत्कार
भिखारी की कुटिया से लेकर राष्ट्रपति के भवन तकविज्ञानके चरण पड़ चुके हैं। झोपड़पट्टी में रहने वाला भी बल्ब, रोशनी और दूरदर्शन को जानता ही नहीं परंतु उसका आनंद लेता है। रिक्शा चलाने वाला भी थक कर सिनेमा हॉल में सुंदर दृश्य देखता है। इन दृश्यों के माध्यम से वह विज्ञान के चमत्कार के बल इतिहास की घटनाओं में खो जाता है तो विदेशों के बारे में घर बैठे ही बहुत कुछ जान लेता है।
विज्ञान ने मानव को बिजली का वरदान देकर अंधेरी रात को दूधिया रोशनी में बदल बदल दिया है। वायुयान में बैठकर वह पंछियों के समान अकाश मे उड़ ही नहीं सकता, बादलों के ऊपर से जा सकता है। सागर में वह ऐसे प्रवेश करता है जैसे किसी शानदार राज महल में प्रवेश कर रहा हो। यात्रा के साधनों में तो विज्ञान ने क्रांति कर दी है। वर्षों को महीनों, महीनों को दिनों और दिनों को घंटों में बदल दिया है।
आप सवेरे का नाश्ता दिल्ली में कीजिए दोपहर का भोजन यूरोप के किसी देश में और रात्रि भोजन अमेरिका में जाकर कीजिए। पर्वत अव अभिजीत नहीं रहे, रेगिस्तानों को विज्ञान ने रुई के गद्दे बना दिया है और बर्फीले चट्टानों को संगमरमर का फर्श बनाकर आनंद के लिए प्रदान कर दिया।
रेल बसों से यात्रा कितनी सुगंध बना दी है। रेल की लंबी यात्रा में तो मेहमान नवाजी जैसा आनंद आता है। आधुनिक जहाज तो मानो चलता फिरता नगर है जिसमें नहाने का सरोवर, घूमने का मैदान, पुस्तकालय और सिनेमाघर है।
मेडिकल के क्षेत्र में तो विज्ञान ने अनूठा चमत्कार किया है। एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड से शरीर के भीतर का पुर्जा-पुर्जा झांक लो। बड़ी से बड़ी सर्जरी मानो कुशल डॉक्टरों की अंगुलियों का खेल है। गर्मी में शीतल पवन के झोंके घर बैठे ही मिल जाते हैं।
यात्रा में भी शीतल पवन का नंद वातानुकूलित डिब्बे में प्राप्त हो जाता है। भयंकर शीत के प्रकोप से बचने के लिए पवन की गर्माहट आपको प्राप्त हो जाएगी। घर पर आराम कुर्सी पर बैठकर दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से सारे संसार के समाचार मिल जाते हैं।
विज्ञान : वरदान और अभिशाप
इस प्रकार विज्ञान ने मानव सभ्यता को उड़ने को पंख दे दिए है। स्वर्ग को पृथ्वी पर उतार दिया है। अधिकतर रोग विज्ञान के अधिकार में आ गए हैं। सारे विश्व को एक छोटे से दूर दर्शक नामक डिब्बे में बंद कर दिया है। सारे मधुर संगीत की स्वर लहरियों को डीवीडी में बंद कर दिया है।
महात्मा गांधी, नेहरू, इंदिरा और पटेल सभी के महान कार्यों को जीवन भर देखते रहिए इसलिए इसे भी एक डिब्बे में बंद कर दिया है। विज्ञान के वरदान का अनंत भंडार आज हमारे पास है। किंतु यह विज्ञान जहां हमें वरदान रूप में प्राप्त है वहां यह मानवता के लिए अभिशाप भी है। बिजली हमारा आज्ञाकारी सेवक है किंतु जरा सी भूल से करूर स्वामी का कार्य भी करता है।
भूल से नंगे तार पर उंगली पड़ी कि इस संसार के स्वर्ग से छुट्टी होते एक्शन भी नहीं लगता। आकाश में पक्षी के समान चक्कर लगाते विमान में जरा सी गड़बड़ हुई कि सभी की जीवन लीला समाप्त। रक्षा के नाम पर विज्ञान ने जो अस्त्र और शास्त्रों के रूप में धारण किया है क्या उसे मानव सभ्यता बचपाई।
विश्व युद्ध के अनुभव ने जापान के नगर हिरोशिमा और नागासाकी में जो महाप्रलय मचाई थी क्या आज तक उस अभिशाप से मुक्त हो पाएंगे। आज तो युद्ध के क्षेत्र में इतने विनाशक, घातक और करूर शास्त्रों का निर्माण हुआ है कि यह हरा भरा संसार सैकड़ों बार मिनटों में नष्ट किया जा सकता है। विज्ञान के सामने मानव हृदय को पराजित कर दिया है, भावनाओं के संसार को जला दिया।
उपसंहार
विज्ञान ने जहां सुखों का अंबार लगाए हैं, सपनों को साकार किया है, वही मनुष्य के देवतव को लील गया है। दुनिया की दूरी तो घटाई है पर मानव-हृदयों की दूरी बढ़ा दी है। विज्ञान मानव के हाथ की ऐसी दुधारी तलवार है जो बुद्धि का चरम विकास करके सर्वनाश और महानाश के बीच हो रही है। विज्ञान के चमत्कार ने देवों के वैभव, इंद्र की अलकापुरी को धरती पर उतारा है तो मानव को रावण, दुर्योधन, कंस और दुशासन भी बना दिया है। भगवान मानव को सद्बुद्धि दे कि विज्ञान उसके लिए मंगलकारी बने।
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