Essay on Air Pollution in Hindi ( वायु प्रदूषण पर निबंध )

Essay on Air Pollution in Hindi ( वायु प्रदूषण पर निबंध )

Essay on Air Pollution in Hindi ( वायु प्रदूषण पर निबंध ) – आज के युग में ‘प्रदूषण’ शब्द से कोई भी व्यक्ति अपरिचित नहीं है। नगर में रहने वाला प्रत्येक नागरिक इसके दुष्प्रभाव से वंचित नहीं रहा। इससे बचने की दिशा में भी कई प्रयास करता है। जिस प्रकार बड़े नगरों में यातायात बढ़ता जा रहा है, इंधन जलाने के लिए हर तरह की चीजें इस्तेमाल की जा रही है, उससे हवा में घुलने वाले जहर की मात्रा में भी भारी बढ़ोतरी होती जा रही है। 

Essay on Air Pollution in Hindi ( वायु प्रदूषण पर निबंध )
Essay on Air Pollution in Hindi ( वायु प्रदूषण पर निबंध )

जाड़ो में धुआं और कोहरा मिलकर हालात और भी खराब कर देते हैं। इन सबकी स्थिति हमारे देश में और भी बदतर है। यहां वाहनों पर कोई भी नियंत्रण नहीं है। डीजल चलित वाहन गहरा काला धुआं बड़ी मात्रा में छोड़ते हैं जिससे स्थिति और भी विकट बन जाती है। ऐसे प्रदूषित धुए से दमा एवं अन्य रोगों में अधिक वृद्धि हो जाती है। 

इन रोगों के कारण लोगों की उम्र कम हो जाती है। एक बार रोग बढ़ जाने पर उस पर नियंत्रण पाना कठिन हो जाता है। विश्व के अनेक महानगरों में प्रदूषण से हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इसके मुकाबले प्रदूषण रहित नगरों एवं गांवों में ऐसे लोगों की संख्या कम है।

संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में कहा गया था कि दिल्ली के चारों ओर किसान ऐसे कीटनाशक का प्रयोग करते हैं जिससे कई बीमारियां होती हैं। कीटनाशक का प्रयोग सबसे अधिक गेहूं और गन्ने की खेती में किया जाता है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि इसकी रोकथाम के लिए कोई सरकारी कदम नहीं उठाया गया है। वायु प्रदूषण राजधानी की हवा को बुरी तरह से प्रदूषित कर रही है। इसे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। राजधानी के वायुमंडल में अधिक प्रदूषण घुल गए हैं। इन्हें एंडोसल्फान कहते हैं। 

एंडोसल्फान कीटनाशक का प्रयोग राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है। भारत में अध्ययन करने वाले प्रो०एस०के सिन्हा का कहना है। एंडोसल्फान दिल्ली के ऊपर 10 से 15 फुट पर पाया गया जो आदमी की सांस के साथ सरलता से शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह लंबे समय तक शरीर में रहता है जिससे रोगों की वृद्धि हो जाती है।

अभी तक देखने में आया है कि बहनों से केवल सल्फर डाइऑक्साइड नामक प्रदूषक निकलता है परंतु अब पता चला है कि हवा में नए प्रदूषक जुड़ते जा रहे हैं जिनके नाम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मर्करी तथा बेंजीन बताएं हैं। अभी तक इस प्रकार के 12 नए प्रदूषकों के लिए जांच- पड़ताल जारी है। 

अन्य देशों में इन प्रदूषकों पर नियंत्रण करने के लिए बहुत समय से कोशिश की जा रही है परंतु हमारे देश में इनके लिए कोई कानून नहीं है। ऐसे में इन पर नियंत्रण किस प्रकार पाया जाए कहना कठिन है। अन्य देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कदम उठाए हैं परंतु भारत में इसके लिए कुछ नहीं किया गया है।

अब सवाल उठता है कि सरकार की नीतियां इस विषय में क्या करती हैं? यदि पहले से ही ध्यान रखा जाए तो यह समस्याएं खड़ी ही नहीं होती। वैज्ञानिकों तथा पर्यावरण विदों ने देश की राजधानी की हवा पर सवाल चिन्ह लगा दिया है। अब तो दिल्ली में सी एन जी का प्रयोग किया जा रहा है। जिसके लिए समझा था कि इसके प्रयोग से दिल्ली प्रदूषण रहित हो पाए। परंतु लगता है कि जो प्रदूषण कम हो गए थे, वह भी बढ़ते जा रहे हैं।

व्यापारिक वाहनों में डीजल का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है क्योंकि यह पेट्रोल से सस्ता है। कार निर्माता कंपनियां इस तथ्य को समझकर डीजल चालित कारें बाजार में अधिक-से-अधिक ला रही हैं। लोग इन कारों को इसलिए खरीदते हैं कि उन्हें चलाने में खर्चा कम आता है परंतु इस सबसे वायु में प्रदूषण कितना अधिक बढ़ रहा है, इसके बारे में कोई नहीं सोचता। वायु प्रदूषण की समस्या सारे देश में है, इसलिए इसे सुलझाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति अपनानी जरूरी है। हमें ऐसे देशों से सीख लेनी होगी जो अपने जहां प्रदूषण घटाने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं।

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